दुनिया का पहला टेलीविजन स्कॉटिश इंजीनियर जॉन लॉगी बेयर्ड (John Logie Baird) ने 1925 में बनाया था। टेलीविजन का आविष्कार एक लंबी और जटिल प्रक्रिया का परिणाम था, जो कई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के प्रयासों का फल था। जॉन लॉगी बेयर्ड को टेलीविजन की अवधारणा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। बेयर्ड का पहला प्रोटोटाइप टेलीविजन एक यांत्रिक प्रणाली पर आधारित था, जिसे उन्होंने 1923 से 1924 के बीच विकसित किया। यह प्रणाली एक डिस्क के माध्यम से काम करती थी, जिसे “निप्को डिस्क” (Nipkow Disc) कहा जाता है। इस डिस्क का नाम पॉल निप्को के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 1884 में एक यांत्रिक स्कैनिंग डिस्क का पेटेंट कराया था। इस डिस्क का उपयोग करके, बेयर्ड ने एक तस्वीर को छोटे-छोटे भागों में विभाजित किया और फिर उन भागों को विद्युत संकेतों में बदल दिया। इन विद्युत संकेतों को तब रेडियो तरंगों के माध्यम से प्रसारित किया गया और एक अन्य टेलीविजन सेट पर प्राप्त किया गया, जहां वे फिर से एक पूरी तस्वीर में परिवर्तित हो गए।
बेयर्ड का पहला सफल सार्वजनिक प्रदर्शन 26 जनवरी 1926 को हुआ, जब उन्होंने लंदन में रॉयल इंस्टीट्यूशन के वैज्ञानिकों के सामने पहला टेलीविजन चित्र दिखाया। इस प्रदर्शन के दौरान, उन्होंने एक ग्रेस्टर स्कैनर और लाइट-सेंसिटिव कोशिकाओं का उपयोग करके एक प्रतिमा का चित्रण किया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि इसने टेलीविजन के युग की शुरुआत की। बेयर्ड के यांत्रिक टेलीविजन की प्रसारण क्षमता और गुणवत्ता सीमित थी, लेकिन यह आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन की नींव रखने में एक महत्वपूर्ण कदम था।
इस प्रक्रिया में बेयर्ड ने कई चुनौतियों का सामना किया, जैसे कि संकेतों की स्थिरता और चित्र की स्पष्टता। उनकी तकनीक में एक मोटर द्वारा संचालित घूर्णनशील डिस्क का उपयोग किया गया, जिसमें छोटे छिद्र थे। यह डिस्क एक स्क्रीन पर प्रकाश के स्रोत से जुड़ी थी, और जब डिस्क घूर्णित होती थी, तो यह छिद्रों के माध्यम से एक तस्वीर को स्कैन करती थी। फिर यह तस्वीर विद्युत संकेतों में परिवर्तित हो जाती थी, जो एक रेडियो तरंग के माध्यम से प्रसारित होती थी। प्राप्त सेट पर, इन संकेतों को फिर से एक स्क्रीन पर पुनर्निर्मित किया जाता था। इस यांत्रिक प्रक्रिया ने पहले के स्थिर चित्रों की तुलना में अधिक गतिशील और स्पष्ट चित्र प्राप्त करना संभव किया।
हालांकि, बेयर्ड की तकनीक ने टेलीविजन प्रसारण की नींव रखी, लेकिन यह यांत्रिक टेलीविजन का युग अधिक समय तक नहीं चला। बाद में, इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन तकनीक ने इसे प्रतिस्थापित कर दिया, जो अधिक कुशल और स्पष्ट चित्र देने में सक्षम थी। 1930 के दशक में, इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का विकास तेज़ी से हुआ, और आधुनिक टेलीविजन की शुरुआत हुई। फिर भी, जॉन लॉगी बेयर्ड का योगदान टेलीविजन के इतिहास में अमूल्य है, और उन्हें टेलीविजन के जनक के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनकी सोच और मेहनत ने दृश्य माध्यमों की दुनिया में क्रांति ला दी, जो आगे चलकर मानव संचार और मनोरंजन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
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