क्या आपने कभी सोचा है दुनिया का पहला सुपर कंप्यूटर कैसा दिखता होगा

दुनिया का पहला सुपर कंप्यूटर “क्रे-1” (Cray-1) था, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका में 1975 में विकसित किया गया था। इसे बनाने का श्रेय प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक सेमोर क्रे (Seymour Cray) को जाता है, जिन्हें “सुपर कंप्यूटर का जनक” भी कहा जाता है। क्रे-1 एक उच्च-प्रदर्शन मशीन थी, जिसे विशेष रूप से वैज्ञानिक अनुसंधान, रक्षा और मौसम पूर्वानुमान के लिए बड़े पैमाने पर गणनाओं को तेजी से करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था। इस सुपर कंप्यूटर के विकास की शुरुआत 1972 में हुई, जब सेमोर क्रे ने क्रे रिसर्च कंपनी की स्थापना की। उन्होंने पहले से मौजूद कंप्यूटरों की सीमाओं को पार करने के लिए एक नई वास्तुकला और डिजाइन तैयार करने की योजना बनाई। क्रे-1 का सबसे महत्वपूर्ण नवाचार इसका “वेक्टर प्रोसेसिंग” (Vector Processing) क्षमता थी, जो बड़ी संख्या में गणनाओं को एक साथ संसाधित करने की अनुमति देती थी। इस क्षमता ने क्रे-1 को उस समय के अन्य कंप्यूटरों की तुलना में कई गुना तेजी से काम करने में सक्षम बनाया। क्रे-1 का डिजाइन भी अद्वितीय था; इसे एक सर्कुलर, “C” आकार में निर्मित किया गया था, जिससे इसका आकार कॉम्पैक्ट बना और सिग्नल ट्रांसमिशन के समय को कम किया जा सके।

क्रे-1 की प्रोसेसिंग स्पीड 160 मेगाफ्लॉप्स (Million Floating-Point Operations Per Second) थी, जो कि उस समय के लिए एक अत्यधिक उन्नत तकनीक थी। इसके अंदर 64-बिट प्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया था, जो आज के मानकों के अनुसार धीमा हो सकता है, लेकिन 1970 के दशक में यह अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली था। इस सुपर कंप्यूटर में 8 मेगाबाइट की मुख्य मेमोरी थी, जो उस समय की अन्य मशीनों की तुलना में काफी अधिक थी। मेमोरी तक तेजी से पहुंच सुनिश्चित करने के लिए इसमें चुंबकीय डिस्क स्टोरेज का भी उपयोग किया गया था। क्रे-1 के निर्माण में अत्यधिक उन्नत सामग्री और तकनीकों का उपयोग किया गया था। उदाहरण के लिए, इसमें सुपरकूलिंग तकनीक का उपयोग किया गया, जिसमें प्रोसेसर को ठंडा रखने के लिए फ्रीऑन गैस का इस्तेमाल किया गया। इससे प्रोसेसर को अधिक तापमान पर काम करने से रोका गया और मशीन की गति और विश्वसनीयता को बढ़ावा मिला।

क्रे-1 को बनने में लगभग 8.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च आया, और इसे पहली बार लॉस एलामोस नेशनल लैबोरेटरी में स्थापित किया गया, जहां इसका उपयोग परमाणु हथियारों के डिजाइन और परीक्षण के लिए किया गया। इसके अलावा, इसका उपयोग मौसम के मॉडलिंग, फ्लूइड डायनेमिक्स, और अन्य वैज्ञानिक अनुसंधानों में भी किया गया। यह मशीन 5.5 टन वजन की थी और इसमें लगभग 200 किलोमीटर लंबी वायरिंग थी। इसके बावजूद, क्रे-1 का प्रदर्शन इतना प्रभावी था कि इसे दुनिया भर के अनुसंधान संस्थानों और सरकारी एजेंसियों द्वारा अपनाया गया। इस सुपर कंप्यूटर की सफलता ने सेमोर क्रे और उनकी कंपनी को तकनीकी दुनिया में अग्रणी बना दिया। क्रे-1 के विकास ने कंप्यूटर आर्किटेक्चर के नए मानक स्थापित किए और सुपर कंप्यूटर के क्षेत्र में एक नया युग शुरू किया। इसके बाद आने वाले दशकों में, क्रे रिसर्च और अन्य कंपनियों ने सुपर कंप्यूटर की गति और क्षमता को और बढ़ाने के लिए अनुसंधान और विकास जारी रखा, जिससे आज के अत्याधुनिक सुपर कंप्यूटर विकसित हुए। क्रे-1 का महत्व केवल इसकी तकनीकी उन्नति में ही नहीं था, बल्कि इसने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान में क्रांति ला दी, जिससे जटिल समस्याओं का समाधान करने की क्षमता में भारी वृद्धि हुई। क्रे-1 के आविष्कार ने न केवल कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया, बल्कि इसने वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के नए द्वार खोले।

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