अग्नि मिसाइल: एक परिचय

अग्नि मिसाइल श्रृंखला भारत के रक्षा तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से मध्यम से अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों पर आधारित है, जो भारतीय सशस्त्र बलों को एक सशक्त प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है। अग्नि मिसाइलों की इस श्रृंखला में अग्नि-I, II, III, IV, और V शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक मिसाइल की अपनी विशेषताएँ और क्षमताएँ हैं।

अग्नि-I इस श्रृंखला की पहली मिसाइल है, जिसे 1990 के दशक के अंत में विकसित किया गया था। यह एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM) है, जिसकी मारक क्षमता 700-900 किलोमीटर तक है। यह एकल चरणीय ठोस ईंधन पर आधारित मिसाइल है, जो 1,000 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इसकी सटीकता और विश्वसनीयता के कारण, अग्नि-I को भारतीय सेना में 2002 में शामिल किया गया था।

अग्नि-II को अग्नि-I के उन्नत संस्करण के रूप में विकसित किया गया था। यह द्वि-चरणीय मिसाइल है, जिसमें ठोस ईंधन का उपयोग होता है। इसकी मारक क्षमता 2,000-3,500 किलोमीटर तक है, जो इसे दक्षिण एशिया के सभी प्रमुख शहरों को कवर करने में सक्षम बनाती है। अग्नि-II में बेहतर सटीकता और लंबी दूरी की क्षमताएँ हैं, जिससे यह भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक हथियार बन गई है। इसे पहली बार 1999 में परीक्षण किया गया और 2004 में सेवा में शामिल किया गया।

अग्नि-III इस श्रृंखला की पहली लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 3,500-5,000 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल भी ठोस ईंधन पर आधारित है और इसे दो चरणों में लॉन्च किया जाता है। अग्नि-III को मुख्य रूप से भारत के लिए एक रणनीतिक प्रतिरोधक के रूप में विकसित किया गया था, जो पूरे एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों तक पहुंचने में सक्षम है। इसका विकास 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ और इसे 2011 में भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल किया गया।

अग्नि-IV को अग्नि-III के उन्नत संस्करण के रूप में विकसित किया गया था, जिसमें बेहतर सटीकता और अधिक लंबी दूरी की क्षमताएँ हैं। इसकी मारक क्षमता 4,000 किलोमीटर तक है, और यह मिसाइल अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम और गाइडेंस तकनीकों से लैस है। अग्नि-IV को 2012 में पहली बार परीक्षण किया गया और इसके उन्नत डिज़ाइन और विश्वसनीयता ने इसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक हथियार बना दिया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से लॉन्च की जा सकती है, जिससे इसे कहीं भी तैनात करना आसान हो जाता है।

अग्नि-V अग्नि मिसाइल श्रृंखला की सबसे नई और सबसे शक्तिशाली मिसाइल है। यह एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी मारक क्षमता 5,000-8,000 किलोमीटर तक है, जो इसे पूरे एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों तक पहुंचने में सक्षम बनाती है। अग्नि-V तीन चरणीय ठोस ईंधन पर आधारित है और इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जैसे कि रिंग लेजर गाइरोस्कोप (RLG) और माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (MINS)। इसकी सटीकता और लंबी दूरी की क्षमता इसे भारत के रणनीतिक प्रतिरोधक बल के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार बनाती है। अग्नि-V का पहला परीक्षण 2012 में किया गया था और इसे भारतीय सशस्त्र बलों में 2018 में शामिल किया गया।

रणनीतिक महत्व

अग्नि मिसाइल श्रृंखला भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ (NFU) नीति के तहत एक महत्वपूर्ण प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है। इसका मुख्य उद्देश्य संभावित आक्रमणकर्ताओं को हतोत्साहित करना और भारत की सामरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। इस श्रृंखला की मिसाइलें पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों को विविध प्रकार के ऑपरेशनल विकल्प प्रदान करती हैं।

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