दुनिया में सबसे ज्यादा हैकर्स की संख्या के मामले में रूस और चीन का नाम सबसे पहले आता है। इन दोनों देशों में हैकर्स की बड़ी संख्या पाई जाती है और वे दुनियाभर में साइबर हमलों में शामिल होने के लिए कुख्यात हैं। रूस में, हैकिंग को अक्सर सरकार द्वारा समर्थित किया जाता है और इसे एक तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा के रूप में देखा जाता है। वहां के हैकर्स को सरकारी एजेंसियों से समर्थन मिलता है और वे न केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक और सैन्य जानकारी चुराने के लिए भी जाने जाते हैं। ये हैकर्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी भ्रामक जानकारी फैलाने और चुनावों को प्रभावित करने के लिए कुख्यात हैं। उनके काम करने का तरीका अत्यधिक संगठित और उन्नत होता है, जिससे वे दुनिया के सबसे खतरनाक साइबर अपराधी माने जाते हैं। रूस के हैकर्स ने कई बड़े अंतरराष्ट्रीय हमलों को अंजाम दिया है, जिनमें 2016 के अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप और 2020 के सोलरविंड्स हैक शामिल हैं, जो कि एक वैश्विक स्तर का हमला था और जिसने दुनिया भर की बड़ी कंपनियों और सरकारी एजेंसियों को प्रभावित किया था।
दूसरी ओर, चीन में भी हैकर्स की संख्या बहुत अधिक है और वे मुख्य रूप से आर्थिक जासूसी में लिप्त होते हैं। चीन के हैकर्स का मुख्य लक्ष्य वैश्विक कंपनियों के व्यापारिक रहस्यों, शोध और विकास की जानकारी को चुराना है। इसके अलावा, वे भी सरकार द्वारा समर्थित होते हैं और उनके पास अत्यधिक उन्नत साइबर क्षमताएँ होती हैं। चीन के हैकर्स ने भी कई बड़े पैमाने पर साइबर हमलों को अंजाम दिया है, जिनमें अमेरिकी कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के डेटा चोरी के मामले प्रमुख हैं। उदाहरण के लिए, 2015 में हुए ऑपरेशन में, चीन के हैकर्स ने अमेरिकी ऑफिस ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट (OPM) से लाखों कर्मचारियों के डेटा को चुरा लिया था, जिसमें संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी भी शामिल थी। चीन में हैकर्स अक्सर सरकारी या सैन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम करते हैं, जिससे वे न केवल आर्थिक बल्कि सैन्य और राजनीतिक जानकारी भी चुराने में सक्षम होते हैं।
अमेरिका और उत्तर कोरिया भी हैकर्स के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन इन देशों में हैकर्स की संख्या अपेक्षाकृत कम है। उत्तर कोरिया के हैकर्स, जिन्हें ‘लाजरस ग्रुप’ के नाम से जाना जाता है, मुख्य रूप से वित्तीय साइबर अपराधों में लिप्त होते हैं। उन्होंने कई बड़े साइबर हमले किए हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध 2017 का ‘वानाक्राई’ रैनसमवेयर हमला था, जिसने दुनिया भर में लाखों कंप्यूटरों को प्रभावित किया था। इन हैकर्स का मुख्य उद्देश्य पैसे की चोरी करना होता है, जो कि उत्तर कोरियाई सरकार के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने का एक तरीका है।
अमेरिका में, हैकिंग को मुख्य रूप से व्यक्तिगत या संगठनात्मक स्तर पर देखा जाता है। हालांकि, यहां भी कुछ हैकर समूह सरकार के साथ जुड़े होते हैं, और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काम करते हैं। अमेरिकी हैकर्स दुनिया में सबसे उन्नत माने जाते हैं, क्योंकि यहां साइबर सुरक्षा और हैकिंग के क्षेत्र में अत्यधिक तकनीकी ज्ञान और संसाधन उपलब्ध हैं। अमेरिका के हैकर्स मुख्य रूप से साइबर सुरक्षा, एथिकल हैकिंग और साइबर फॉरेंसिक्स में विशेषज्ञ होते हैं और वे दुनिया भर में विभिन्न साइबर चुनौतियों का सामना करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। हालांकि, अमेरिका में साइबर अपराध भी होता है, और यहां के कुछ हैकर्स ने व्यक्तिगत लाभ के लिए बड़े पैमाने पर साइबर हमलों को अंजाम दिया है।
कुल मिलाकर, रूस और चीन में हैकर्स की संख्या सबसे अधिक है और वे दुनिया के सबसे सक्रिय साइबर अपराधी माने जाते हैं। ये हैकर्स सरकारों, कंपनियों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इन देशों के हैकर्स अत्यधिक संगठित और तकनीकी रूप से उन्नत होते हैं, जिससे उनके द्वारा किए गए साइबर हमले अधिक प्रभावी और घातक होते हैं। उनके कार्यों का प्रभाव केवल आर्थिक नहीं होता, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को भी प्रभावित करता है। यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर साइबर सुरक्षा को बढ़ाने और हैकर्स से निपटने के लिए विभिन्न देश मिलकर काम कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इन खतरों का मुकाबला करने के लिए विश्व भर में समन्वित प्रयास किए जाएं और साइबर अपराधों से निपटने के लिए नए और उन्नत तरीके विकसित किए जाएं।
सबसे पहले हैकिंग की शुरुआत
सबसे पहले हैकिंग की शुरुआत 1960 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी, विशेष रूप से MIT (मासाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में। उस समय “हैकिंग” का मतलब था किसी समस्या को रचनात्मक और नए तरीकों से हल करना, और इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता था। MIT के छात्रों ने सबसे पहले यह शब्द इस्तेमाल किया जब वे अपनी कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग की परियोजनाओं में सीमाओं को तोड़कर नए और अनोखे समाधान खोजने लगे। उन शुरुआती दिनों में, हैकिंग का मुख्य उद्देश्य कंप्यूटर प्रोग्राम को अधिक कुशल बनाना, नई क्षमताओं का पता लगाना, और मशीनों की कार्यप्रणाली को समझना था। उस समय, इंटरनेट का विकास हो रहा था और ARPANET के रूप में इसे सीमित सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों के बीच उपयोग में लाया जाता था। ARPANET पर पहली बार हैकिंग से संबंधित गतिविधियाँ देखी गईं, जब कुछ प्रोग्रामर्स ने नेटवर्क के भीतर डेटा पैकेट को रोकने और उनका विश्लेषण करने के लिए अपने कौशल का उपयोग किया। जैसे-जैसे कंप्यूटर नेटवर्क का विस्तार हुआ, हैकिंग का स्वरूप भी बदलने लगा। 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में, हैकिंग का मतलब सिर्फ तकनीकी कौशल से नहीं, बल्कि उन कौशलों का गलत उपयोग करना भी बन गया। उदाहरण के लिए, 1983 में, अमेरिका में ‘414s’ नामक एक हैकर समूह ने अमेरिका के प्रमुख संस्थानों जैसे लॉस अलामोस नेशनल लैब और स्लोन-केटरिंग कैंसर सेंटर के कंप्यूटर सिस्टम को हैक किया। यह घटना अमेरिकी मीडिया में बहुत चर्चित हुई और इसे सार्वजनिक रूप से हैकिंग की एक नकारात्मक छवि के रूप में देखा गया। इसने सरकार और समाज का ध्यान इस बात पर केंद्रित किया कि साइबर सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। 1986 में, अमेरिका ने “कंप्यूटर फ्रॉड एंड एब्यूज एक्ट” पारित किया, जो दुनिया में पहला ऐसा कानून था जिसने कंप्यूटर सिस्टम में अनधिकृत पहुंच को अवैध ठहराया। इस समय तक, हैकिंग ने एक अंतरराष्ट्रीय आयाम भी ग्रहण कर लिया था, और विभिन्न देशों में हैकर्स उभरने लगे थे। जैसे-जैसे इंटरनेट का विकास हुआ और इसकी पहुंच व्यापक हुई, हैकिंग एक गंभीर समस्या बन गई। 1990 के दशक तक, हैकिंग के माध्यम से वित्तीय धोखाधड़ी, डेटा चोरी, और साइबर आतंकवाद जैसे अपराध तेजी से बढ़ने लगे। इस समय तक रूस, चीन, और अन्य देशों में भी हैकिंग के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई। हालाँकि, हैकिंग की शुरुआत अमेरिका में हुई और वहां से यह अन्य देशों में फैल गई। वर्तमान में, हैकिंग एक वैश्विक समस्या है, जिसके खिलाफ सभी देश अपने-अपने तरीके से सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इतिहास के पन्नों में, हैकिंग की उत्पत्ति की जड़ें MIT और अमेरिका के शुरुआती कंप्यूटर वैज्ञानिकों के प्रयोगों में गहराई से जुड़ी हुई हैं, जहां से यह तकनीकी चुनौती और अंततः एक वैश्विक समस्या में बदल गई।
हैकिंग का अर्थ है
हैकिंग का अर्थ है किसी कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क या डिवाइस में अनधिकृत रूप से प्रवेश करना या उसमें परिवर्तन करना। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हैकर तकनीकी ज्ञान का उपयोग करके सिस्टम की कमजोरियों का पता लगाता है और उसका फायदा उठाकर सिस्टम में घुसपैठ करता है। हैकिंग का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इसके कुछ फायदे हैं जैसे एथिकल हैकिंग के जरिए साइबर सुरक्षा में सुधार करना, कमजोरियों की पहचान करके उन्हें ठीक करना, और सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाना। एथिकल हैकर्स संगठनों को उनकी सुरक्षा में सुधार करने में मदद करते हैं और संभावित साइबर हमलों से बचाते हैं। इसके विपरीत, हैकिंग के नुकसान भी गंभीर हैं। अनैतिक या अवैध हैकिंग (ब्लैक हैट हैकिंग) के कारण संवेदनशील जानकारी की चोरी, वित्तीय नुकसान, पहचान की चोरी, और निजी डेटा का दुरुपयोग हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्तियों और संगठनों को आर्थिक और मानसिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। हैकिंग का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों में भी किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इस प्रकार, हैकिंग एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है, लेकिन इसका उपयोग नैतिक और कानूनी रूप से करना आवश्यक है, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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